ओह मेरी जाने जांतू ही बता तुज़े मे रखूं कहाँ
मेरे दिलो दिमाग मे घरोंदे लगे हें बनने
कोई हिन्दू का कोई सिख का कोई मुसलमान का
जबसे लगें हें बनने घरोंदे
दिलो दिमाग के मंदिर लगें हें बनने खंडहर
अब तो इसी आग मे जलता हूँ
आब तो चाहता हूँ
यह दिलो दिमाग न हो
या तेरा प्यार न हो
रघबीर खन्ना
Sunday, August 22, 2010
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